Shimla: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों की लंबित मांगों को लेकर धरना, सरकार से शीघ्र कार्रवाई की अपील

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों का धरना, लंबित मांगों को लेकर हपुटवा ने जताई नाराजगी

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) में मंगलवार को एक बार फिर शिक्षकों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर आंदोलन किया। इस धरने का आयोजन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) के बैनर तले किया गया। शिक्षकों ने कुलपति कार्यालय के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक शामिल हुए।

धरने में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय संध्याकालीन विभाग, पीजी सैंटर विश्वविद्यालय, शिमला, सैंटर फॉर डिस्टैंस एजुकेशन, यूआईएलएस एवालॉज, यूसीबीएस चौड़ा मैदान और यूआईटी में कार्यरत शिक्षक मौजूद थे। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और सरकार से शीघ्र समाधान की अपील की।

हपुटवा के अध्यक्ष डॉ. नितिन व्यास ने धरने में शामिल शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक वर्ग लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है, लेकिन अब तक इन मांगों का समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की प्रमुख मांग करियर एडवांसमेंट स्कीम (CAS) के तहत वर्ष 2010 बैच की प्रक्रिया शुरू करने की है।

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1. करियर एडवांसमेंट स्कीम (CAS) के तहत मांगें

हपुटवा के अध्यक्ष ने बताया कि हाल ही में हुई कार्यकारी परिषद (EC) की बैठक में वर्ष 2010 बैच की करियर एडवांसमेंट स्कीम (CAS) के तहत प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया था। अब शिक्षकों की मांग है कि इस प्रक्रिया को तुरंत लागू किया जाए और शिक्षकों को उनके अधिकार समय से मिलें।

इसके अलावा, उन्होंने पीएम ऊषा योजना के तहत 250 कंप्यूटर की खरीदारी की प्रक्रिया को भी शीघ्रता से पूरा करने की मांग उठाई। सरकार से इस प्रक्रिया को जल्दी पूरा करने की अपील की गई है ताकि विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य को सुचारू रूप से जारी रखा जा सके।

2. वर्ष 2016 का एरियर और पीएचडी इंक्रीमेंट की मांग

डॉ. नितिन व्यास और हपुटवा की सह सचिव डॉ. अंजलि शर्मा ने कहा कि वर्ष 2016 के नए वेतनमान का एरियर अभी तक शिक्षकों को नहीं मिला है, जिससे पूरे प्रदेश के शिक्षक वर्ग में आक्रोश है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द यह एरियर भुगतान किया जाए ताकि शिक्षकों को आर्थिक राहत मिल सके।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार को पीएचडी इंक्रीमेंट को बहाल करने के लिए कदम उठाना चाहिए। शिक्षकों का कहना है कि यह इंक्रीमेंट शिक्षकों के लिए एक अहम मुद्दा है, जो उनके समग्र करियर को प्रभावित करता है।

3. अनुबंध पीरियड को लेकर विरोध

हाल में प्रदेश सरकार ने अनुबंध पीरियड को निरस्त करने का प्रस्ताव दिया था और इसे प्रमोशन प्रक्रिया से बाहर करने का विधेयक विधानसभा में लाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इस निर्णय के खिलाफ शिक्षक वर्ग में गहरी नाराजगी है, और उन्होंने इस विधेयक का विरोध किया है। उनका कहना है कि अनुबंध पीरियड को समाप्त करने से शिक्षकों को नुकसान होगा और उनके प्रमोशन में अड़चनें आएंगी।

4. विश्वविद्यालय प्रशासन से शीघ्र समाधान की उम्मीद

डॉ. नितिन व्यास और डॉ. अंजलि शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने हपुटवा की कुछ मांगों को पूरा करने के लिए प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन अब शिक्षकों का कहना है कि इसे जल्द अमलीजामा पहनाया जाए। उन्होंने सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया कि शिक्षकों के लिए एक स्थायी समाधान निकाला जाए।

धरने में डॉ. हरीश, डॉ. योगराज, डॉ. राजेश, डॉ. जोगिंद्र सकलानी, डॉ. नरेश और डॉ. राकेश ने भी भाग लिया और अपनी मांगों को लेकर अपनी बात रखी।

5. नतीजा और शिक्षकों का संघर्ष जारी

धरने के बाद शिक्षकों ने कहा कि उनका संघर्ष जारी रहेगा, जब तक उनकी सभी लंबित मांगों का समाधान नहीं हो जाता। शिक्षकों ने यह भी कहा कि वे अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करेंगे और जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

शिक्षकों का यह धरना एक बार फिर से यह साबित करता है कि शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे लोग अपनी मेहनत और समर्पण के बावजूद सम्मान और सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह आंदोलन इस बात को उजागर करता है कि राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को शिक्षा क्षेत्र के कर्मचारियों की वास्तविक समस्याओं का समाधान शीघ्र करना चाहिए।

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