हिमाचल प्रदेश के तुंगल क्षेत्र की युवा उद्यमी सकीना ठाकुर ने यह सिद्ध कर दिया है कि सच्ची लगन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इतिहास की छात्रा रही सकीना आज डेयरी उद्योग में एक नई मिसाल बन चुकी हैं, और उनकी कहानी राज्य भर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।

कोटली उपमंडल के तहत आने वाले कून गांव में एक सामान्य परिवार में जन्मी सकीना बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह रखती थीं। राजकीय वल्लभ महाविद्यालय, मंडी से इतिहास में एमए करने के बाद जब उन्होंने मंडी में मिलने वाले पतले और घटिया गुणवत्ता के दूध को देखा तो उन्हें अच्छे दूध की उपलब्धता सुनिश्चित करने का विचार आया। हालांकि उनके मन में जिम ट्रेनर, मॉडलिंग या बॉक्सिंग में करियर बनाने की भी चाह थी, वहीं परिवार की ओर से सरकारी नौकरी का दबाव था। लेकिन उन्होंने अपनी राह खुद चुनी।

स्वास्थ्य विभाग की एक परियोजना में उन्होंने सर्वेयर के रूप में कुछ समय तक कार्य किया और उसी से मिली जमा पूंजी को डेयरी क्षेत्र में निवेश करने का निश्चय किया। शुरुआत आसान नहीं थी। गांव और परिवार से उन्हें सहयोग की बजाय ताने सुनने पड़े – “एक पढ़ी-लिखी लड़की गाय-गोबर का काम कैसे करेगी?” लेकिन इन टिप्पणियों ने उन्हें और अधिक दृढ़ बना दिया। पड़ोस के भरगांव की चिंता देवी ने उनका उत्साह बढ़ाया और साथ ही उन्होंने यूट्यूब से भी डेयरी क्षेत्र की तकनीकी जानकारी जुटाई।

लगभग सवा लाख रुपए की बचत और ग्रामीण बैंक से मिले दो लाख रुपए के ऋण से उन्होंने जुलाई 2024 में अपने डेयरी फार्म की शुरुआत की। पंजाब के बठिंडा के पास स्थित गुरविंदर डेयरी फार्म से उन्होंने एचएफ (होलस्टीन फ्रिजियन) नस्ल की गाएं खरीदीं, जो दूध की गुणवत्ता, जलवायु अनुकूलता और उत्पादकता में श्रेष्ठ मानी जाती हैं। शुरुआत में विरोध सहने वाली सकीना को अब अपने परिवार, विशेषकर मां रमा देवी और भाई-बहनों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
प्रदेश सरकार के सहयोग से नवंबर 2024 में उनके गांव में ‘द कून महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति’ की स्थापना हुई। हिमाचल प्रदेश राज्य दुग्ध उत्पादक संघ ने समिति को बल्क मिल्क कूलर (दो क्विंटल क्षमता), एसएनएफ एनालाइज़र, अल्ट्रासोनिक स्टिरर और कंप्यूटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराईं। सकीना इस समिति में दुग्ध संग्रहण का कार्य संभाल रही हैं।

वर्तमान में उनके फार्म से प्रतिदिन लगभग 112 लीटर दूध प्राप्त होता है। उनके पास 14 एचएफ नस्ल की गाएं हैं और उन्होंने ₹4.5 लाख की लागत से एक आधुनिक पशुशाला बनाई है। पशु आहार स्थानीय स्रोतों के साथ-साथ पंजाब से भी लाया जाता है। साथ ही सकीना ने मिल्किंग मशीन और चारा कटर पर ₹50,000 का निवेश किया है। गोबर का उपयोग खेतों में खाद के रूप में हो रहा है और उन्होंने अपने फार्म पर एक व्यक्ति को रोजगार भी प्रदान किया है।
सकीना के अनुसार उन्हें हर महीने लगभग सवा लाख रुपए की आमदनी हो रही है। उनकी सोसायटी में कून के अलावा कोट, लंबीधार, द्रुब्बल, त्रैहड़, माहन आदि गांवों के लगभग 70 परिवार जुड़े हुए हैं। सामूहिक रूप से समिति की आय करीब दो लाख रुपए प्रतिमाह तक पहुंच चुकी है। राज्य सरकार द्वारा दूध के दाम बढ़ाए जाने से किसानों को भी बड़ा लाभ मिल रहा है और सकीना को दूध की गुणवत्ता के अनुसार 41 से 44 रुपए प्रति लीटर तक दाम मिल रहा है। उन्होंने गाय के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹51 करने पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार जताया है।
ग्राम पंचायत के उपप्रधान विजय कुमार ने सकीना ठाकुर को समाज के लिए मिसाल बताया और कहा कि सकीना ने यह सिद्ध कर दिया है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता – बस मेहनत और जुनून होना चाहिए।
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