हिमाचल प्रदेश के विकास खंड इंदौरा की ग्राम पंचायत मलाहड़ी के पनियाला गांव में रहने वाले सुरजीत सिंह पिछले 15 वर्षों से सरकारी आवास योजना के लाभ से वंचित हैं। उनका स्लेटपोश मकान जर्जर हो चुका है, छत से बारिश का पानी टपकता है, और हर रात घर गिरने के डर में कटती है। सरकार योजनाओं का प्रचार तो खूब करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आती है।
सुरजीत सिंह, जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं, कई बार अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। कम से कम 10 बार उन्होंने अपने घर की तस्वीरें अधिकारियों को सौंपी हैं, लेकिन उनकी फाइलें सरकारी दफ्तरों में धूल फांक रही हैं। गांव में साधन-संपन्न लोगों को आवास योजना का लाभ मिल गया है, लेकिन उनका परिवार अब भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है।
उनके घर की हालत के साथ-साथ शौचालय की सुविधा भी अधूरी है। परिवार के सदस्यों को खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।सुरजीत सिंह सवाल उठाते हैं कि अगर सरकार सिर्फ राशन ही देना चाहती है, तो फिर बीपीएल सूची में नाम होने का क्या फायदा?
इस मामले पर जब खंड विकास अधिकारी सुदर्शन सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत जरूरतमंद परिवारों का सर्वे और जियो टैगिंग की प्रक्रिया जारी है। वहीं, पंचायत सचिव नीलम ने बताया कि पनियाला गांव में अब तक जियो टैगिंग शुरू नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही इसे पूरा किया जाएगा।
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