हिमाचल प्रदेश सरकार ने गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक सराहनीय और मानवीय कदम उठाया है। अब राज्य में एचआईवी, यौन संचारित रोग (एसटीआई), टीबी और हेपेटाइटिस जैसे रोगों से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला स्थित अपने आधिकारिक आवास ‘ओक ओवर’ से इस नई सेवा की शुरुआत की और 12 ई-स्कूटरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन ई-स्कूटरों के माध्यम से मरीजों को दवाइयां, जांच और चिकित्सकीय परामर्श उनके घर तक पहुंचाया जाएगा।

यह सुविधा हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा स्वास्थ्य विभाग को प्रदान किए गए ई-स्कूटरों के माध्यम से शुरू की गई है। इन स्कूटरों को प्रदेश के आठ जिलों में तैनात किया जाएगा ताकि दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में रह रहे मरीजों तक समय पर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा सकें। मुख्यमंत्री ने इस योजना को एक समर्पित और मानवीय प्रयास बताया और कहा कि इससे हजारों लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ और मजबूत बनाने की दिशा में निरंतर काम कर रही है और यह पहल उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल को एचआईवी मुक्त बनाना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने रेड रिबन क्लबों, युवाओं, शैक्षणिक संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका की सराहना की जो इस दिशा में जागरूकता फैलाने में सक्रिय हैं। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह नई सेवा स्वास्थ्य विभाग की क्षमताओं को और सशक्त बनाएगी और मरीजों को समय पर आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगी।
मुख्यमंत्री ने यह जानकारी भी दी कि फिलहाल प्रदेश में 6,000 से अधिक लोग एचआईवी से संक्रमित हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर मरीजों की स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने इसे राज्य सरकार की प्रभावशाली नीतियों और निरंतर प्रयासों की सफलता का प्रमाण बताया। वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने बताया कि राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में कुल 471 रेड रिबन क्लब स्थापित किए हैं, जो युवाओं को एचआईवी और अन्य यौन संचारित रोगों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
इस नई पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति अपनी बीमारी के कारण उचित इलाज से वंचित न रहे, चाहे वह कितनी भी दुर्गम जगह पर क्यों न रह रहा हो। सरकार की यह कोशिश दूर-दराज इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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