स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उपमंडल गगरेट के कलोह में स्थित एक निजी अस्पताल और मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की। इस दौरान अस्पताल में कई अनियमितताएं पाई गईं, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। बुधवार को जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव वर्मा के नेतृत्व में डॉ. सुखदीप सिद्धू, ड्रग इंस्पेक्टर रजत शर्मा, बीएमओ डॉ. पंकज पाराशर, डॉ. शिवा लखनपाल और रेनू मनकोटिया ने गणपति अस्पताल में दबिश दी।
जांच के दौरान टीम ने पाया कि अस्पताल और मेडिकल स्टोर में बड़े पैमाने पर पंजाब से दवाइयां खरीदी गई हैं, जिनमें कई ऐसी हैं, जिनकी बिक्री का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। इसके अलावा, अस्पताल में टीबी और एचआईवी संक्रमित मरीजों की जांच के लिए उपयोग होने वाली किटें भी बिना रिकॉर्ड के पाई गईं। विभाग को मिली शिकायतों के अनुसार, अस्पताल का लाइसेंस एक महिला चिकित्सक के नाम पर है, जो बीएएमएस है, लेकिन इलाज कोई और कर रहा था। जब जांच टीम ने महिला डॉक्टर से विभिन्न दवाओं के नाम और उनके उपयोग के बारे में पूछा तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाईं।

अस्पताल में प्रयोगशाला के साथ मेडिकल स्टोर भी संचालित किया जा रहा था और दवाओं की बड़े स्तर पर खरीद हुई थी, लेकिन उनका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था। जांच के दौरान कुछ प्रतिबंधित दवाइयां भी मिलीं, जिनका रिकॉर्ड एच-1 रजिस्टर में होना आवश्यक था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था। सूत्रों के अनुसार, इस मेडिकल स्टोर को पहले भी स्वास्थ्य विभाग ने सील किया था, लेकिन वह दोबारा कैसे खुला, यह सवालों के घेरे में है।
जब स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें अंदर जाने से रोकने की कोशिश की। लेकिन सीएमओ डॉ. संजीव वर्माके सख्त रवैये के बाद टीम को जांच करने दी गई। अस्पताल प्रशासन से बेची गई दवाइयों और अन्य रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि इस मामले की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। सीएमओ डॉ. संजीव वर्मा ने बताया कि अस्पताल को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।
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