झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के लिए शिक्षा का सपना देखना आज भी एक बड़ी चुनौती है। गरीबी, पारिवारिक समस्याएं, और स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इन बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कुल्लू की रहने वाली निशा ठाकुर ने इन बच्चों की ज़िंदगी में शिक्षा की रोशनी बिखेरने का बीड़ा उठाया है।
नर्सिंग से सेवा का जज़्बा
निशा ठाकुर पेशे से नर्स हैं। वे पार्ट-टाइम नौकरी करने के साथ-साथ अपनी आगामी परीक्षा की तैयारी भी कर रही हैं। इसके बावजूद वे हर दिन समय निकालकर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने जाती हैं।

निशा कहती हैं, “नर्सिंग प्रोफेशन में सेवा की भावना मेरे अंदर आई और मैंने सोचा कि क्यों न इसे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इस्तेमाल करूं। इन बच्चों को शिक्षित करना न केवल उनका भविष्य सुधारता है, बल्कि समाज को भी बेहतर बनाता है।”
3 सालों की अनवरत सेवा
पिछले तीन सालों से निशा लगातार झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ा रही हैं। उनका यह प्रयास पूरी तरह से निशुल्क है। निशा का कहना है कि शिक्षा से इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनने और बेहतर भविष्य बनाने में मदद मिलेगी।
चुनौतियां और समर्पण
झुग्गियों में पढ़ाना आसान काम नहीं है। कई बार बच्चों को पढ़ाई में रुचि नहीं होती, तो कभी उनके परिवार वाले भी सहयोग नहीं करते। लेकिन निशा के धैर्य और लगन ने इन बच्चों और उनके माता-पिता की सोच को बदल दिया है। आज कई बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे हैं।
समाज के लिए एक संदेश
निशा ठाकुर की कहानी हमें सिखाती है कि एक व्यक्ति का प्रयास समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। वे कहती हैं, “हर किसी को अपनी क्षमता के अनुसार समाज के लिए कुछ करना चाहिए। जब आप किसी की मदद करते हैं, तो आपको जो संतुष्टि मिलती है, वह शब्दों में बयान नहीं की जा सकती।”
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