भारत के खिलाफ फेल हुआ चीन का हथियार सिस्टम, पाकिस्तानी सेना को नहीं मिला साथ

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान को उसकी सबसे बड़ी रक्षा सहयोगी चीन से भी करारा झटका लगा है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने चीनी निर्मित मिसाइलों, एयर डिफेंस सिस्टम और लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया, लेकिन परिणाम पाकिस्तान के लिए निराशाजनक साबित हुए। अधिकांश हथियार या तो अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचे या बिना फटे ही गिर गए, जिससे पाकिस्तान की सैन्य रणनीति पर सवाल उठने लगे।

पिछले 15 वर्षों में पाकिस्तान ने चीन पर अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए भारी निर्भरता जताई है। 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान के हथियार आयात में चीन की हिस्सेदारी लगभग 81% रही। लेकिन हाल के घटनाक्रम ने इस भरोसे को हिला दिया है और अब यह साफ हो चुका है कि यह निर्भरता पाकिस्तान के लिए भारी पड़ रही है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ चीनी PL-15 मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जो हवा से हवा में मार करने के लिए बनाई गई थीं और जिनकी चीन ने काफी प्रचारित की थी। लेकिन जब इन मिसाइलों का असल युद्ध में उपयोग किया गया, तो वे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में नाकाम रहीं और बिना फटे जमीन पर गिर गईं। इस विफलता ने पाकिस्तान की सैन्य योजना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

इसके अलावा, भारत द्वारा 6-7 मई की रात को किए गए हमलों में पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकाने नष्ट कर दिए गए। बदले में पाकिस्तान ने लाहौर की सुरक्षा के लिए HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया, जो रूस के S-300 सिस्टम के समान है। हालांकि, यह एयर डिफेंस सिस्टम भी भारतीय वायुसेना की तेज रणनीति के सामने टिक नहीं सका और नष्ट हो गया।

पाकिस्तान ने चीनी J-10C लड़ाकू विमानों को भी भारतीय वायुसेना के खिलाफ तैनात किया। ये विमान चीन द्वारा मल्टीरोल क्षमता के लिए सराहे जाते रहे हैं, लेकिन वास्तविक युद्ध स्थितियों में इन विमानों ने कोई प्रभावी परिणाम नहीं दिया और भारतीय वायुसेना के खिलाफ ये नाकाम रहे।

इन घटनाओं के बाद पाकिस्तान के अंदर भी गुस्से और निराशा का माहौल बन गया है। संसद में विपक्षी नेता शाहिद खट्टक ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर तीखा हमला करते हुए उन्हें “कायर” तक कह दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि शरीफ भारत के खिलाफ बोलने से डर रहे हैं, जिससे पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सेना का मनोबल टूट रहा है।

चीन के हथियारों के साथ पाकिस्तान की बढ़ती निर्भरता अब एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। यह घटना यह साबित करती है कि केवल चीनी तकनीक पर निर्भर रहना पाकिस्तान के लिए महंगा साबित हो सकता है, खासकर जब उसे वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में इन हथियारों का सामना करना पड़ता है।

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