हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत बेहद समृद्ध और विविधता से भरी हुई है। यहाँ के मेले, त्यौहार और पारंपरिक आयोजन न केवल लोगों की धार्मिक आस्था को प्रकट करते हैं बल्कि सामाजिक एकजुटता और भाईचारे का प्रतीक भी हैं। इन्हीं आयोजनों में से एक है छिंज मेला, जो ग्रामीण परिवेश में खेल, संस्कृति और परंपरा का संगम पेश करता है। इंदौरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक मलेंद्र राजन ने हाल ही में पलाखी में आयोजित छिंज मेले में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने मेले की सराहना करते हुए इसे हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा बताया।
छिंज मेला: धार्मिक आस्था और सामाजिक महत्व
छिंज मेला केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह हमारी धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक आस्था का भी दर्पण है। इस मेले में भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं और स्थानीय स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। ये आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक मेलजोल, भाईचारा, और आपसी सहयोग की परंपरा को मजबूत करते हैं।
विधायक मलेंद्र राजन ने अपने संबोधन में कहा कि छिंज-मेले हमारी धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता के परिचायक हैं। यह आयोजन हमारी आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य करता है।

विधायक मलेंद्र राजन की घोषणाएँ
इस अवसर पर विधायक ने छिंज मेला कमेटी, पलाखी को लंगर हाल निर्माण के लिए अपनी विधायक निधि से 3 लाख रुपये देने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त आयोजन समिति को अलग से 21 हजार रुपये भी प्रदान किए।
उन्होंने कहा कि लंगर हाल बनने से श्रद्धालुओं और मेले में आने वाले लोगों को सुविधा मिलेगी। इसके अलावा उन्होंने भगरवां में आयोजित दंगल की भी सराहना की और वहां की आयोजन समिति को 3 लाख रुपये देने का ऐलान किया।
संस्कृति और खेलों का संगम
हिमाचल प्रदेश की संस्कृति में कुश्ती और दंगल का विशेष स्थान है। ये न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि युवाओं को अनुशासन, मेहनत और साहस जैसे मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
विधायक ने युवाओं से आह्वान किया कि वे खेलों में सक्रिय भागीदारी करें ताकि उनकी ऊर्जा सही दिशा में लगे और वे समाज और देश का नाम रोशन कर सकें।
छिंज मेले का सामाजिक प्रभाव
• छिंज जैसे पारंपरिक आयोजन समाज को जोड़ने का काम करते हैं।
• यह ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
• स्थानीय कारीगरों और दुकानदारों को व्यवसाय का अवसर मिलता है।
• लोग एक साथ मिलकर सामाजिक एकता का संदेश देते हैं।
• युवाओं को खेलों और संस्कृति से जोड़कर उन्हें नशे जैसी बुराइयों से दूर रखने में मदद मिलती है।
आयोजन में उपस्थित गणमान्य लोग
इस अवसर पर छिंज मेला कमेटी पलाखी के प्रधान स्वदेश सोनू, उपप्रधान यशपाल सिंह, महासचिव संदीप, कोषाध्यक्ष महिंदर, पोंग बांध निदेशक विशाल ठाकुर, कुलदीप शर्मा, कांग्रेस कार्यकर्ता राकेश ठाकुर सहित अन्य गणमान्य लोग एवं बड़ी संख्या में दंगल प्रेमी मौजूद रहे।

छिंज मेले का भविष्य
यदि ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहें तो आने वाली पीढ़ियाँ अपनी परंपरा और संस्कृति से जुड़ी रहेंगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसर प्राप्त होंगे। विधायक मलेंद्र राजन ने भी आश्वासन दिया कि वे भविष्य में ऐसे आयोजनों को हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे।
निष्कर्ष
छिंज मेला न केवल एक खेल प्रतियोगिता है बल्कि यह धार्मिक आस्था, सामाजिक एकता, और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। पलाखी में आयोजित यह मेला हिमाचल प्रदेश की उस परंपरा को जीवित रखने का प्रयास है जो लोगों को एक साथ लाती है और समाज में भाईचारे का संदेश देती है। विधायक मलेंद्र राजन की घोषणाएँ और सहयोग इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार भी इन आयोजनों को प्रोत्साहित करने में गंभीर है।
छिंज जैसे आयोजन हमारे समाज को मजबूत, एकजुट और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
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